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RPSC में सदस्यों की संख्या बढ़ी | राजस्थान लोक सेवा आयोग 2025 अपडेट

 

कार्यकारी सारांश

राजस्थान मंत्रिमंडल ने 14 जुलाई 2025 को राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में तीन नए सदस्य पद सृजित करने को मंजूरी दी। इससे आयोग की स्वीकृत संख्या 7 से बढ़कर 10 हो गई। यह बदलाव राजस्थान लोक सेवा आयोग (सेवा की शर्तें) विनियम, 1974 में संशोधन द्वारा लागू हुआ। इसका उद्देश्य आयोग की कार्यक्षमता और पारदर्शिता बढ़ाना है।


RPSC में सदस्यों की संख्या बढ़ी | राजस्थान लोक सेवा आयोग 2025 अपडेट



1. पृष्ठभूमि: RPSC के पुनर्गठन की मांग

  • स्थापना: 22 दिसंबर 1949

  • प्रारंभिक संरचना: 1 अध्यक्ष + 2 सदस्य

  • हालिया विवाद: पेपर लीक, भ्रष्टाचार, देरी से भर्ती प्रक्रियाएँ

  • 2021 SI परीक्षा पेपर लीक ने संस्था की छवि को गहरा नुकसान पहुँचाया।

  • राजनीतिक दबाव: सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा में भी RPSC मुद्दा केंद्र में रहा।

👉 यह फैसला सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक अनिवार्यता भी है।


2. सदस्यों की संख्या में वृद्धि: संवैधानिक और कानूनी विश्लेषण

राज्य लोक सेवा आयोगों का संचालन भारतीय संविधान के भाग XIV के तहत अनुच्छेद 315 से 323 के प्रावधानों द्वारा होता है । ये अनुच्छेद आयोगों के गठन, कार्यों और सदस्यों की नियुक्ति तथा बर्खास्तगी से संबंधित हैं। अनुच्छेद 316 विशेष रूप से अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति और उनके कार्यकाल को परिभाषित करता है। राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है । हालांकि, उन्हें हटाने की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास है, जो एक महत्वपूर्ण संवैधानिक जाँच और संतुलन प्रदान करता है

राजस्थान सरकार ने सदस्यों की संख्या में वृद्धि के लिए एक विशिष्ट कानूनी संशोधन किया है। राज्य मंत्रिमंडल ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (सेवा की शर्तें) विनियम, 1974 के विनियम-3(1) में संशोधन को मंजूरी दी । इस संशोधन के प्रभावी होने के साथ ही, आयोग में सदस्यों की स्वीकृत संख्या 7 से बढ़कर 10 हो गई है । आयोग की आधिकारिक वेबसाइट इस बदलाव की पुष्टि करती है, जिसमें बताया गया है कि अध्यक्ष सहित कुल स्वीकृत पद अब 11 हैं (1 अध्यक्ष + 10 सदस्य) ।

यह उल्लेखनीय है कि समाचार रिपोर्टों में इस निर्णय का उल्लेख भविष्योन्मुखी लहजे में किया गया था ("सदस्यों की संख्या... बढ़ाई जाएगी") , जबकि RPSC की आधिकारिक वेबसाइट पर पहले से ही बढ़ी हुई संख्या को दर्शाया जा रहा है । यह विसंगति दर्शाती है कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इस निर्णय को अत्यंत तेजी से कानूनी रूप से लागू किया गया है। यह इस मुद्दे पर सरकार की गंभीरता और आयोग के पुनर्गठन की दिशा में उठाए गए कदमों की तत्परता को स्पष्ट करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 315–323: राज्य लोक सेवा आयोगों का प्रावधान

  • अनुच्छेद 316: नियुक्ति और कार्यकाल

  • राजस्थान कैबिनेट ने 1974 विनियम-3(1) में संशोधन कर RPSC में कुल सदस्य संख्या 10 कर दी।

📌 अब RPSC = 1 अध्यक्ष + 10 सदस्य (कुल 11 पद)
यह UPSC के स्ट्रक्चर से मेल खाता है।


3. नियुक्ति की प्रक्रिया और चुनौतियाँ


संवैधानिक रूप से, राज्य लोक सेवा आयोग के आधे सदस्यों को ऐसे व्यक्ति होना चाहिए जिन्होंने भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 साल तक सेवा की हो । यह एकमात्र संवैधानिक योग्यता है। हालांकि, एक महत्वपूर्ण कमी यह है कि आयोग के सदस्यों के लिए कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित नहीं है । RPSC के पूर्व अध्यक्ष ललित के. पंवार ने स्वयं इस संवैधानिक पद के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल दिया था ।

यह गंभीर कमी आयोग की निष्पक्षता और साख पर सवाल उठाती है, खासकर जब ये सदस्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के साक्षात्कार बोर्डों में बैठते हैं । शोध सामग्री से यह भी पता चलता है कि नियुक्तियाँ अक्सर राजनीतिक और जातिगत आधार पर की जाती हैं । यह प्रवृत्ति आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार और धांधली की समस्याओं से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है

इस संदर्भ में, सदस्यों की संख्या में वृद्धि को एक संरचनात्मक सुधार के रूप में देखा जा सकता है। यह भर्ती प्रक्रिया की गति बढ़ाने में मदद कर सकता है, जैसा कि सरकार का दावा है । लेकिन यह आयोग की मूल समस्या का समाधान नहीं करता है, जो कि अयोग्य और पक्षपातपूर्ण नियुक्तियों की प्रवृत्ति है। जब तक सदस्यों को चुनने के मानदंड योग्यता-आधारित और पारदर्शी नहीं होंगे, तब तक केवल संख्या बढ़ाना समस्या का सतही समाधान ही रहेगा। एक बड़ा आयोग तब तक प्रभावी नहीं हो सकता जब तक कि उसके सदस्य अपनी योग्यता और निष्पक्षता से नियुक्त न हों।
  • वर्तमान नियम: आधे सदस्य ऐसे होने चाहिए जिनका सरकारी सेवा का अनुभव ≥ 10 वर्ष हो।

  • समस्या: कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित नहीं।

  • नियुक्तियों में राजनीतिक और जातिगत प्रभाव प्रमुख।

  • पूर्व अध्यक्ष ललित के. पंवार ने भी शैक्षणिक योग्यता तय करने की सिफारिश की थी।

👉 केवल संख्या बढ़ाना समस्या का समाधान नहीं, नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना आवश्यक है।


4. नया नेतृत्व: अध्यक्ष यू.आर. साहू

आयोग की विश्वसनीयता को बहाल करने के प्रयासों के तहत, सरकार ने 10 जून, 2025 को पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू को RPSC का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है । उनकी नियुक्ति 10 महीने के अंतराल के बाद हुई, जब पूर्व अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय का कार्यकाल अगस्त 2024 में समाप्त हो गया था

यू.आर. साहू एक 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं , जो अपनी ईमानदार और सख्त छवि के लिए जाने जाते हैं । उनके पास इंजीनियरिंग जियोलॉजी में M.Tech की डिग्री है । पदभार ग्रहण करने के बाद, उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं में युवाओं का विश्वास जीतना और पेपर माफियाओं पर शिकंजा कसना बताया ।

एक सख्त और ईमानदार छवि वाले पुलिस अधिकारी को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करना सरकार की एक रणनीति है, जो आयोग के भ्रष्टाचार-विरोधी रुख को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। यह एक प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कदम दोनों है, क्योंकि RPSC में पेपर लीक और भ्रष्टाचार की समस्या एक आपराधिक मुद्दा बन गई थी। हालांकि, एक महत्वपूर्ण चुनौती उनके कार्यकाल की अवधि है। नियमों के अनुसार, साहू का कार्यकाल जून 2026 तक ही है, जब वे 62 वर्ष की आयु पूरी कर लेंगे । उनका अल्पकालिक कार्यकाल (लगभग एक वर्ष) आयोग के लंबे समय से चल रही समस्याओं का समाधान करने और संस्थागत विश्वास को बहाल करने की उनकी क्षमता को सीमित कर सकता है। यह पैटर्न RPSC की स्थिरता और दीर्घकालिक सुधारों को लागू करने की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
  • नियुक्ति: 10 जून 2025

  • प्रोफ़ाइल: 1988 बैच IPS, M.Tech (इंजीनियरिंग जियोलॉजी), ईमानदार और सख्त छवि।

  • प्राथमिकताएँ: युवाओं का विश्वास बहाल करना, पेपर माफियाओं पर शिकंजा कसना।

  • चुनौती: जून 2026 में रिटायरमेंट (कार्यकाल केवल ~1 वर्ष)।

👉 अल्पकालिक कार्यकाल दीर्घकालिक सुधारों को सीमित कर सकता है।


5. तुलनात्मक अध्ययन: RPSC बनाम अन्य लोक सेवा आयोग

आयोग का नामअध्यक्षों की संख्यासदस्यों की संख्याकुल स्वीकृत पद
UPSC11011
RPSC11011
UPPSC189
MPPSC14–55–6
BPSC167
GPSC178

👉 अब RPSC, UPSC के बराबर आकार वाला राज्य आयोग है।


6. निष्कर्ष और भविष्य की अनुशंसाएँ

सकारात्मक पक्ष:

  • कार्यक्षमता और समयबद्ध भर्ती में सुधार की संभावना।

  • ईमानदार अध्यक्ष की नियुक्ति से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण का संदेश।

सीमाएँ:

  • पारदर्शी नियुक्ति मानदंड का अभाव।

  • राजनीतिक प्रभाव से मुक्त न होना।

  • अल्पकालिक नेतृत्व।

सुझाव:

  1. नियुक्तियों में योग्यता-आधारित मानदंड लागू हों।

  2. अध्यक्ष और सदस्यों के लिए कम से कम 3–5 वर्ष का कार्यकाल।

  3. स्वतंत्र नियुक्ति समिति का गठन।

  4. भर्ती प्रक्रियाओं में डिजिटलीकरण और पेपरलेस सिस्टम


FAQ (SEO Schema Friendly)

Q1. राजस्थान लोक सेवा आयोग में कितने सदस्य हैं?
👉 अब आयोग में 1 अध्यक्ष और 10 सदस्य (कुल 11 पद) स्वीकृत हैं।

Q2. RPSC में नए सदस्य कब जोड़े गए?
👉 14 जुलाई 2025 को राजस्थान मंत्रिमंडल ने 3 नए पदों को मंजूरी दी।

Q3. RPSC के अध्यक्ष कौन हैं?
👉 जून 2025 से RPSC के अध्यक्ष यू.आर. साहू (पूर्व DGP, IPS अधिकारी) हैं।

Q4. UPSC और RPSC में क्या समानता है?
👉 दोनों में 1 अध्यक्ष और 10 सदस्य यानी कुल 11 पद स्वीकृत हैं।

👉 सुझाव:

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